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रीरामकथा मानव जीवन का वास्तविक दर्शन है। The narrative of Lord Rāma is the real philosophy of human life.
विद्याध्ययन का सच्चा फल है- भगवत्प्रेम, राष्ट्रनिष्ठा और मानवता की सेवा। The real fruit of learning is- love for God, devotion for the nation and service for humanity.
जिसके द्वारा संसार नष्ट कर दिया जाता है, संसार की वासना नष्ट कर दी जाती है, उसे ही तो भाव कहते हैं। Bhāva is that by which the world is destroyed, the desire for the world is destroyed.
मैं ने संस्कृत से सिर्फ़ श्री राम की सेवा करी है
अगर किसी माताजी के पतिदेव का नाम भगवान के नाम पर है, तो वो भी भगवत नाम जाप के उद्देश्य से वो नाम जप सकती हैं.
चाय पीने वाला सन्त नहीं हो सकता। सन्त तो भगवान् का चरणोदक पीता है। One who drinks tea cannot be a saint, a saint drinks the nectar of God’s lotus feet instead.
सब कुछ करा पर श्री राम का भजन नही करा तो जीवन व्यर्थ हो गया.
भजन कम करें तो चलेगा पर भजन ना करने वालो का साथ नही करना चाहिए.
केवल श्री राम ही ऐसे अवतारी हैं जिनके चरण और आचरण, दोनो ही जीव को तार देते हैं.
जहाँ जहाँ भारतीय संस्कृति के ग्रंथों में विरोध दिख रहा है, वहाँ उसका परिहार करना ही मेरा कार्य है, यही मेरा योगदान है