श्रीरामभद्राचार्यस्तवः श्रीरामभद्राचार्य का स्तवन Praise of Śrīrāmabhadrācārya
रामभद्रं नमामो वयं सादरं सद्गुरुं भावयामो वयं सादरम्। वेदवेदाङ्गवेत्ता मदीयो गुरुर्यद्यशःसौरभं भ्राजते भूतले॥ १ ॥
हम रामभद्राचार्यजी को सादर नमन करते हैं। सद्गुरुदेव की हम सादर भावना करते हैं। मेरे गुरु वेद और वेदाङ्ग को जानने वाले हैं, जिनकी यश रूपी सुगन्ध इस भूतल पर सुशोभित हो रही है। We respectfully bow down to Rāmabhadrācārya. We respectfully honour the Sadguru. My Guru, the fragrance of whose renown is resplendent in this world, is the knower of Veda and Vedāṅga.यः सतां रक्षको देवसम्पूजकः तैः प्रशस्तैर्गुणैः सर्वथा भूषितः। रामचन्द्रस्य कार्यं कृतं सुन्दरं संस्कृती रक्षिता सभ्यता पोषिता॥ २ ॥
जो सन्तों के रक्षक हैं, देवों के सम्पूजक हैं, और देवों द्वारा प्रशंसित गुणों से सब प्रकार से भूषित हैं (ऐसे मेरे गुरु हैं)। आपके द्वारा भगवान् रामचन्द्र का सुन्दर कार्य किया गया, जिनके द्वारा भारतीय संस्कृति की रक्षा की गयी और जिनके द्वारा भारतीय सभ्यता का पोषण किया गया। My Guru is the protector of saints, and the worshipper of the Devas. He is ever adorned with the virtues which are praised by the Devas. He has carried out the noble tasks of Lord Rāmacandra. He has protected the culture of Bhārata, and he has nourished the Bhāratīya civilization.देववाणीप्रचारस्य कार्यं कृतं राष्ट्रभाषाप्रचारः कृतो भारते। मानवीयं सुमूल्यं त्वया रक्षितं मानवानां हितं सर्वथा साधितम्॥ ३ ॥
आपके द्वारा देववाणी संस्कृत के प्रचार का कार्य किया गया, भारत भूमि में राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार किया गया, मानवीय सुन्दर मूल्य की रक्षा की गयी और मानवजाति के हित का सब प्रकार से साधन किया गया। O Guru! You have performed the task of spreading Saṃskṛta, the language of the Gods; you have also spread Hindi, the language of the nation, in Bhārata; you have protected the noble human values; and you have accomplished the welfare of the human race by all means.राष्ट्रिया चेतना त्वं गुरो राजसे दर्शनेनैव पापानि नश्यन्ति मे। यत्तु सत्यं शिवं सुन्दरं वर्तते तत्त्वदीये शरीरे शुभे शोभते॥ ४ ॥
हे गुरु, आप राष्ट्रिय चेतना बनकर विराजित हैं, आपके दर्शन मात्र से मेरे पाप नष्ट हो गए हैं। जो भी सत्य शिव और सुन्दर वर्त्तमान है, वह आपके शुभ शरीर में सुशोभित है। O Guru! You are resplendent as the national conscience. Just by seeing you, my sins are being destroyed. Whatever exists that is Satya, Śiva and Sundara, is radiant in your auspicious physical body.सात्त्विकं ते वपुः पुण्डरीकं यथा सुस्मितं ते सितं शोभते सुन्दरम्। फुल्लपद्मानि गायन्ति ते गौरवं सद्गुरो ते नमस्ते नमस्ते नमः॥ ५ ॥
आपका शरीर कमल की भाँति सात्त्विक है। आपका सुन्दर और पवित्र मृदु हास सुशोभित हो रहा है। विकसित कमल आपका गौरवगान कर रहे हैं। हे सद्गुरु! आपको नमस्कार है। आपको नमस्कार है। आपको नमस्कार है। Your physical body, full of Sattva quality, is like a lotus. Your agreeable and immaculate sweet smile is splendid. Full-bloomed lotuses sing of your glory. O Guru! Salutation to you! Salutations to you! Salutations to you!सुन्दरं भारतं सुन्दरी संस्कृतिः सुन्दरे भारते सुन्दरः सद्गुरुः। श्रद्धया सादरं सद्गुरुः सेव्यते मङ्गलानां द्रुमो येन पुष्पायते॥ ६ ॥
यह भारत देश सुन्दर है, इसकी भारतीय संस्कृति सुन्दर है, इस सुन्दर भारत देश में आप सुन्दर सद्गुरु हैं। मैं उन सुन्दर सद्गुरु की श्रद्धा और आदर सहित सेवा करता हूँ जिनके द्वारा मङ्गलों का वृक्ष पुष्पित हो जाता है। This land Bhārata is noble and beautiful, its culture is noble and beautiful, and in this noble and beautiful Bhārata, you are the noble Sadguru. I serve that Sadguru with respect, by the grace of whom the tree of auspiciousness is laden with fruits.प्रत्यहं ते यशो निर्मलं गीयते सच्चिदानन्दरूपो गुरुर्मे परः। भक्तिमानैर्मया वन्द्यते सद्गुरुर्देहि दिव्यं प्रसादं गुरो पाहि माम्॥ ७ ॥
प्रतिदिन आपके निर्मल यश का गान होता है। मेरे सच्चिदानन्द रूप गुरु सबसे परे हैं। मैं भक्ति और सम्मानों के साथ सद्गुरु का वन्दन करता हूँ। हे गुरु! मुझे दिव्य प्रसाद दें और मेरी रक्षा करें। Every day, your immaculate fame is praised. My Guru, the embodiment of Sat-Cit-Ānanda, is supreme. I salute the Guru with Bhakti and honour. O Guru! Bestow on me your divine grace and protect me. कविः – शिवबालकद्विवेदः संस्कृतविभागाध्यक्षचरः, डीएवीमहाविद्यालयः, कर्णपुरम्, उत्तरप्रदेशः, भारतम् कवि – शिवबालक द्विवेदी भूतपूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष, डी ए वी महाविद्यालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत Poet – Śivabālaka Dvivedī Former HoD of Sanskrit, DAV College, Kanpur, Uttar Pradesh, Indiaहिन्द्याङ्ग्लभाषानुवादः – नित्यानन्दमिश्रः
हिन्दी और आङ्ग्लभाषा अनुवाद – नित्यानन्द मिश्र
Hindi and English translation – Nityānanda Miśra