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जिसके जीवन में अहंकार होगा, वो निरंतर हारता रहेगा |
एक बार राघव जी के गुण जिसे पकड़ लेते हैं , फिर उस जीव का कभी त्याग नही करते |
उतना पाप जीव कर नही सकता जितना श्री राम हर सकते हैं |
जो भी भगवान से विरुद्ध चले, उसे छोड़ देना ही भक्ति का सिद्धांत है |
श्री रामचरितमानस सामान्य ग्रंथ नही हैं | इनको पढ़ते पढ़ते कभी ना कभी श्री राम के दर्शन होंगे, अवश्य होंगे |
वो इतिहास ह्रास बन के रह जाएगा जहाँ श्री रघुनथजी के चरित्रों का गुणगान ना हो |
वाल्मीकि रामायण समझने के लिए एक लाख राम नाम का प्रतिदिन जाप आवश्यक है |
अहल्या माता ने भगवान श्री राम के चार गुणों का आश्रय लिया : प्रभुता, दीन-बन्धुत्व, हरित्व , अकारण दयालुता |
जीव को भगवान से उनकी ‘कथा’ ही जोड़ती है |
कलयुग में सारे मार्ग लुप्त हो चुके हैं | केवल प्रेम में श्री सीताराम जी के नाम का कीर्तन ही एक आधार है | इसमे कोई रोक नहीं है, अगर आपको नाम कीर्तन करते हुए झूम के नृत्य करना है तो भी चलेगा |