पद १७४


॥ १७४ ॥
मोहन मिश्रित पदकमल आसकरन जस बिस्तर्यो॥
धर्म सील गुनसींव महाभागवत राजरिषि।
पृथीराज कुलदीप भीमसुत बिदित कील्ह सिषि॥
सदाचार अति चतुर बिमल बानी रचनापद।
सूर धीर उद्दार बिनय भलपन भक्तनि हद॥
सीतापति राधासुबर भजन नेम कूरम धर्यो।
मोहन मिश्रित पदकमल आसकरन जस बिस्तर्यो॥

मूलार्थमोहन मिश्रित अर्थात् मोहनसे युक्त नामवाले सरकारके चरणकमल जिनके उपास्य हैं, ऐसे आसकरनजीने संसारमें यश फैलाया अर्थात् जीवन भर आसकरनजीने जानकीमोहन और राधामोहन सरकारकी सेवा की। वे धर्म, शील और गुणोंकी सीमा थे। आसकरनजी महाभागवत अर्थात् परम भगवद्भक्त, और राजरिषि अर्थात् राजाओंमें ऋषिके समान थे। आसकरनजी पृथ्वीराजजीके कुलदीपक पौत्र थे, पृथ्वीराजजीके पुत्र भीमसिंहजीके पुत्र थे, और प्रसिद्ध संत श्रीकील्हजीके शिष्य थे, अथवा कील्हजीके शिष्यके रूपमें स्वयं प्रसिद्ध थे। वे सदाचारमें अत्यन्त चतुर थे, उनकी वाणी विमल थी, वे बहुत विनयी थे, और उनके रचनापद बहुत विमल होते थे। श्रीआसकरनजी शूर थे अर्थात् उन्होंने संसारके भी शत्रुओंको परास्त किया था और भीतरके शत्रुओं – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, और मात्सर्यको भी परास्त किया था। वे धीर थे, उदार थे, परम विनयी थे, और उनमें भलापन था, इसीलिये वे भक्तोंकी सीमा बन गए। कूरम अर्थात् कूर्मवंशी क्षत्रिय (कछवाहा क्षत्रिय) श्रीआसकरनजीने सीतापति अर्थात् भगवान् श्रीराम और राधासुबर अर्थात् राधाजीके सुन्दर पति श्रीकृष्ण­चन्द्र – इन दोनोंके भजन करनेका नेम अर्थात् नियम लिया था।

आसकरनजीके लिये कहा जाता है कि ये प्रतिदिन चार घड़ी तक भगवान्‌की सेवा करते थे। उस समय इनके पास कोई आता नहीं था। एक बार आसकरनजी भगवान्‌की सेवा कर रहे थे, उसी समय तत्कालीन बादशाहके सैनिक आ गए, जिन्हें बादशाहने ही भेजा था। द्वारपालोंने बात करनेसे निषेध कर दिया। फिर सभी सैनिक चले गए, स्वयं बादशाह आया। बादशाहको भी द्वारपालोंने निषेध किया। वह अकेले चला गया। उस समय आसकरनजी भगवान्‌को दण्डवत् कर रहे थे। बादशाहने परीक्षा लेनेके लिये आसकरनजीके चरणमें पीछेसे तलवार मार दी। रक्तकी धारा बह चली, पर आसकरनजीके व्यक्तित्वपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, उन्हें पीड़ाका आभास भी नहीं हुआ। भगवान्‌को दण्डवत् करनेके पश्चात् आसकरनजीने चरणामृत प्रसाद लिया, सबको प्रसाद दिया, और फिर बादशाहसे चर्चा की। आसकरनजीकी यह निष्ठा देखकर बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ और उनके परमधाम जानेके पश्चात् भी दोनों सरकार – जानकीमोहन और राधिकामोहन सरकारकी सेवाकी व्यवस्था भी करा दी।