पद १३४


॥ १३४ ॥
भागवत भली बिधि कथन को धनि जननी एकै जन्यो॥
नाम नरायन मिश्र बंस नवला जु उजागर।
भक्तन की अति भीर भक्ति दसधा को आगर॥
आगम निगम पुरान सार सास्त्रन सब देखे।
सुरगुरु सुक सनकादि ब्यास नारद जु विशेषे॥
सुधा बोध मुख सुरधुनी जस बितान जग में तन्यो।
भागवत भली बिधि कथन को धनि जननी एकै जन्यो॥

मूलार्थ – भली प्रकारसे भागवतके कथनके लिये उन माताको धन्यवाद है, जिन्होंने एकमात्र नारायणदासजीको जन्म दिया। उनका नाम नारायण मिश्र था। वे नवलवंशके उजागर थे अर्थात् उन्होंने नवलवंशमें जन्म लिया था। नारायणदासजीके यहाँ भक्तोंकी अत्यन्त भीड़ लगा करती थी। वे भक्ति दसधा को आगर अर्थात् प्रेमाभक्तिके आगार थे। उन्होंने आगम अर्थात् तन्त्र, निगम अर्थात् वेद, अठारहों पुराण एवं सभी शास्त्रोंको देखा था। वे बृहस्पति, शुकाचार्य, सनकादि और नारदके द्वारा भी विशिष्ट किये गए थे। उनके जीवनमें भगवत्प्रेमका ज्ञान था, यही उनकी सुधा थी। उनके मुखसे भगवत्प्रेम गङ्गाका प्रवाह होता था। उनका यशोवितान जगत्‌में तन गया था।