पद १००


॥ १०० ॥
भक्तपाल दिग्गज भगत ए थानाइत शूर धीर॥
देवानंद नरहरियानंद मुकुंद महीपति संतराम तम्मोरी।
खेम श्रीरंग नंद विष्णु बीदा बाजू सुत जोरी॥
छीतम द्वारिकादास माधव मांडन रूपा दामोदर।
भक्त नरहरि भगवान बाल कान्हर केसव सोहैं घर॥
दास प्रयाग लोहँग गुपाल नागू सुत गृह भक्त भीर।
भक्तपाल दिग्गज भगत ए थानाइत शूर धीर॥

मूलार्थ – ये भक्त भक्तोंका पालन करने वाले श्रेष्ठ दिग्गज और स्वयं थानाइत अर्थात् स्थानाधिपति शूरधीर हुए। इनके नाम हैं – (१) श्रीदेवानन्दजी (२) श्रीनरहर्यानन्दजी (३) श्रीमुकुन्दजी (४) श्रीमहीपतिजी (५) श्रीसंतराम तम्मोरीजी (६) श्रीक्षेमजी (७) श्रीरङ्गजी (८) श्रीनन्दजी (९) श्रीविष्णुजी (१०) श्रीबीदाजी (११-१२) श्रीबाजूजीके दोनों पुत्र (१३) श्रीछीतमजी (१४) श्रीद्वारकादासजी (१५) श्रीमाधवजी (१६) श्रीमाण्डनजी (१७) श्रीरूपाजी (१८) श्रीदामोदरजी (१९) भक्त श्रीनरहरिजी (२०) श्रीभगवान्‌जी (२१) श्रीबालजी (२२) श्रीकान्हरजी (२३) श्रीकेशवजी जो घरमें सुशोभित होते रहते हैं (२४) श्रीप्रयागदासजी (२५) श्रीलोहंगजी (२६) श्रीगोपालजी और (२७) श्रीनागूजीके पुत्र। इनके घरमें भक्तोंकी भीड़ होती रहती है, और ये भक्तोंका पालन करने वाले, श्रेष्ठ दिग्गज, स्थानाधिपति और शूर-धीर विराजमान हो रहे हैं।