पद २१३


॥ २१३ ॥
भक्तदाम जिन जिन कहे तिनकी जूँठनि पाय।
मो मति सार अच्छर द्वै कीनौं सिलौ बनाय॥

मूलार्थ – जिन लोगोंने भक्तमालका गान किया है उनका जूठन पाकर मेरी बुद्धिने उसमें सार निकालकर दो अक्षरोंसे एक शिला बना दी अर्थात् यह मेरी शिलोञ्छवृत्ति है। जैसे खेती कटनेके बाद पड़े हुए कणका व्यक्ति संग्रह करता है उसी प्रकार मैंने शिलाका मात्र संग्रह किया है।