॥ २११ ॥
भक्तदाम संग्रह करैं कथन श्रवन अनुमोद।
सो प्रभु प्यारो पुत्र ज्यों बैठे हरि की गोद॥
मूलार्थ – जो भक्तमालका संग्रह करता है, जो भक्तमालका वाचन करता है, जो भक्तमालका श्रवण करता है और जो भक्तमालका अनुमोदन करता है, वह भगवान्को पुत्रके समान प्यारा हो जाता है, और भगवान्की गोदमें बैठ जाता है।