पद २०८


॥ २०८ ॥
जग कीरति मंगल उदय तीनों ताप नशाय।
हरिजन के गुन बरन तें हरि हृदि अटल बसाय॥

मूलार्थ – भक्तोंके गुणोंका वर्णन करनेसे संसारमें कीर्ति होती है, मङ्गलका उदय हो जाता है, और तीनों ताप नष्ट हो जाते हैं। भक्तोंके गुणोंका वर्णन करनेसे श्रीहरि ही हृदयमें आकर अटल रूपसे बस जाते हैं। इस प्रकार भक्तोंके गुणोंके वर्णनसे से चार लाभ होते हैं – संसारमें कीर्ति, मङ्गलका उदय, तीनों तापोंका नाश और हृदयमें भगवान्‌का निवास।