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गुनगन बिशद गोपाल के एते जन भए भूरिदा॥
बोहित रामगुपाल कुँवरबर गोबिँद माँडिल।
छीतस्वामी जसवंत गदाधर अनँतानँद भल॥
हरिनाभमिश्र दीनदास बछपाल कन्हर जस गायन।
गोसू रामदास नारद स्याम पुनि हरिनारायन॥
कृष्णजीवन भगवानजन स्यामदास बिहारी अमृतदा।
गुनगन बिशद गोपाल के एते जन भए भूरिदा॥
मूलार्थ – भगवान् गोपाल श्रीकृष्णचन्द्रजीके गुणगणोंका चिन्तन करते हुए जिनका चित्त विशद और निर्मल हो गया था ऐसे ये भगवद्भक्त भूरिदा अर्थात् भक्तोंको बहुत कुछ देने वाले हुए। इनमेंसे (१) श्रीबोहितजी (२) श्रीरामगोपालजी (३) श्रीकुँवरवरजी (४) श्रीगोविन्दजी (५) श्रीमाँडिलजी (६) श्रीछीतस्वामीजी (७) श्रीजसवंतजी (८) श्रीगदाधरजी और (९) सबसे भले श्रीअनन्तानन्दजी (१०) श्रीहरिनाभ मिश्रजी (११) श्रीदीनदासजी (१२) श्रीबच्छपालजी (१३) भगवद्यशका गायन करने वाले श्रीकन्हरजी (१४) श्रीगोसूजी (१५) श्रीरामदासजी (१६) श्रीनारदजी (१७) श्रीश्यामजी (१८) श्रीहरिनारायणजी (१९) श्रीकृष्णजीवनजी (२०) भगवानजन अर्थात् श्रीभगवानदासजी (२१) श्रीश्यामदासजी (२२) श्रीबिहारीजी – ये अमृत प्रदान करने वाले भगवद्भक्त हुए।