॥ १०३ ॥
जे बसे बसत मथुरा मंडल ते दया दृष्टि मोपर करो॥
रघुनाथ गोपीनाथ रामभद्र दासू स्वामी।
गुंजामाली चित उत्तम बिट्ठल मरहठ निष्कामी॥
यदुनंदन रघुनाथ रामानंद गोविंद मुरली सोती।
हरिदास मिश्र भगवान मुकुन्द केसव दंडौती॥
चतुर्भुज चरित्र विष्णुदास बेनी पद मो सिर धरो।
जे बसे बसत मथुरा मंडल ते दया दृष्टि मोपर करो॥
मूलार्थ – जो लोग मथुरामण्डलमें बसते हैं और बस चुके हैं, वे मुझपर दयादृष्टि करें। उनमेंसे (१) श्रीरघुनाथजी (२) श्रीगोपीनाथजी (३) श्रीरामभद्रजी (४) श्रीदासू स्वामीजी (५) श्रीगुंजामालीजी (६) श्रीचित उत्तमजी (७) श्रीविट्ठलजी (८) निष्काम श्रीमरहठजी (९) श्रीयदुनन्दनजी (१०) श्रीरघुनाथजी (११) श्रीरामानन्दजी (१२) श्रीगोविन्दजी (१३) श्रीमुरली श्रोत्रियजी (१४) श्रीहरिदास मिश्रजी (१५) श्रीभगवान्जी (१६) श्रीमुकुन्दजी (१७) श्रीकेशव दण्डवतीजी (१८) श्रीचतुर्भुजदासजी (१९) श्रीचरित्रदासजी (२०) श्रीविष्णुदासजी (२१) श्रीवेणीजी – ये अपने चरण मेरे सिरपर धारण करें और मुझपर दयादृष्टि करें।