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पर अर्थ परायन भक्त ये कामधेनु कलिजुग्ग के॥
लक्ष्मन लफरा लडू संत जोधापुर त्यागी।
सूरज कुंभनदास बिमानी खेम बिरागी॥
भावन बिरही भरत नफर हरिकेस लटेरा।
हरिदास अयोध्या चक्रपाणी सरयूतट डेरा॥
तिलोक पुखरदी बीजुरी उद्धव वनचर बंस के।
पर अर्थ परायन भक्त ये कामधेनु कलिजुग्ग के॥
मूलार्थ – ये भक्त परोपकारमें परायण और कलियुगमें कामधेनुके समान हुए – (१) श्रीलक्ष्मणजी (२) श्रीलफराजी (३) श्रीलड्डू संतजी (४) जोधपुरके श्रीत्यागीजी (५) श्रीसूरजजी (६) श्रीकुम्भनदासजी (७) श्रीविमानीजी (८) श्रीखेमजी (९) श्रीवैरागीजी (१०) श्रीभावनजी (११) श्रीविरही भरतजी (१२) श्रीनफरजी (१३) श्रीहरिकेशजी (१४) श्रीलटेराजी (१५) अयोध्याके श्रीहरिदासजी (१६) श्रीचक्रपाणिजी जिन्होंने सरयूतटपर डेरा डाला (१७) श्रीतिलोकजी (१८) श्रीपुखरदीजी (१९) श्रीबीजुरीजी और (२०) वानर वंशके श्रीउद्धवजी।