पद ०१९


॥ १९ ॥
पावैं भक्ति अनपायिनी जे रामसचिव सुमिरन करैं॥
धृष्टी बिजय जयंत नीतिपर सुचि सुबिनीता।
राष्टरबर्धन निपुण सुराष्टर परम पुनीता॥
अशोक सदा आनंद धर्मपालक तत्ववेता।
मंत्रीवर्य सुमंत्र चतुर्जुग मंत्री जेता॥
अनायास रघुपति प्रसन्न भवसागर दुस्तर तरैं।
पावैं भक्ति अनपायिनी जे रामसचिव सुमिरन करैं॥

मूलार्थरामसचिव अर्थात् श्रीरामजीके आठों मन्त्रियोंका जो स्मरण करते हैं, वे अनपायिनी भक्ति पा जाएँगे, उनपर अनायास ही भगवान् श्रीराम सदैव प्रसन्न रहेंगे, और वे दुस्तर भवसागरको पार कर लेंगे। वे हैं – (१) धृष्टि (२) विजय और (३) जयन्त, जो नीतिपरायण, पवित्र और अत्यन्त विनम्र हैं (४) राष्ट्रवर्धन, जो अत्यन्त निपुण हैं (५) सुराष्ट्र, जो अत्यन्त पवित्र हैं (६) अशोक, जो सदा आनन्दमें रहते हैं (७) धर्मपाल, जो तत्त्ववेत्ता हैं और (८) सुमन्त्र – चारों युगोंमें जितने मन्त्री हैं, उनमें सबसे श्रेष्ठ मन्त्री सुमन्त्र हैं।