॥ ३ ॥ संतन निर्नय कियो मथि श्रुति पुरान इतिहास। भजिबे को दोई सुघर कै हरि कै हरिदास॥
मूलार्थ – संतोंने चारों वेदोंका, अठारहों पुराणोंका, एवं श्रीरामायण तथा श्रीमहाभारत – इन दोनों इतिहासोंका आलोडन करके यह निर्णय कर लिया है कि भजन करनेके लिये दोनों ही श्रेष्ठ हैं – या श्रीहरिका भजन किया जाए या श्रीहरिके दासोंका भजन किया जाए (वस्तुतस्तु दोनोंका ही भजन करना अनिवार्य है, क्योंकि भगवद्भक्तोंके भजनसे भगवान् प्रसन्न होंगे और भगवान्के भजनसे भगवद्भक्त प्रसन्न होंगे)।